भगवद् गीता - ए8

₹ 3,850.00
कर शामिल है, शिपिंग और छूट चेकआउट पर गणना की जाती है।
इकाई

भगवद् गीता, जिसका अर्थ है 'परमात्मा का गीत', मूलतः वेद व्यास द्वारा प्रकट की गई थी और भगवान गणेश द्वारा रचित थी। यह भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच एक पवित्र वार्तालाप है।

भगवद्गीता A6 को विभिन्न दार्शनिक सम्प्रदायों, जैसे द्वैत, अद्वैत और विशिष्टद्वैत, के प्रमुख संस्कृत विद्वानों के एक पैनल द्वारा कुशलतापूर्वक तैयार किया गया है, जो संस्कृत साहित्य, आगम, धर्मशास्त्र, पुराण और इतिहास, न्याय, व्याकरण, भाषा विज्ञान आदि में पारंगत हैं।

हम अपने संपादक मंडल और शोधकर्ताओं के साथ मिलकर अपने सभी प्रकाशित संस्करणों के लिए गहन विश्लेषणात्मक और संपादकीय शोध करते हैं। इसलिए, हम किसी विशेष विचारधारा या दर्शन का अनुसरण नहीं करते। बल्कि, हम विभिन्न विचारधाराओं से संबंधित विभिन्न टिप्पणियों को ध्यान में रखते हैं और अपनी पुस्तकों की विषयवस्तु को एक प्रामाणिक, गैर-सांप्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हैं।

हमारे प्राचीन ऋषियों और मुनियों ने पवित्र शास्त्रों के दिव्य ज्ञान का भंडार पीढ़ियों से संजोकर रखा है, जो आज भी हमारे लिए उपलब्ध है। हमारा लक्ष्य भावी पीढ़ी को इन शास्त्रों का वास्तविक सार खोए बिना उनकी प्रामाणिक व्याख्या प्रदान करना है। इसलिए, हम इन पवित्र ग्रंथों के मूल उद्घोषकों, जैसे महर्षि व्यास/महर्षि वाल्मीकि, को लेखकत्व का श्रेय देते हैं, न कि किसी व्यक्ति या अनुवादक को।

पूछे जाने वाले प्रश्न

1. भगवद् गीता A8 संस्करण क्या है?
यह भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच पवित्र संवाद का संक्षिप्त संस्करण है, जिसे 'परमात्मा का गीत' के नाम से जाना जाता है

2. इस संस्करण का संकलन किसने किया?
द्वैत, अद्वैत और विशिष्टद्वैत जैसे विभिन्न सम्प्रदायों के प्रख्यात संस्कृत विद्वानों के एक पैनल ने इसके निर्माण में योगदान दिया।

3. इस संस्करण को क्या विशिष्ट बनाता है?
यह एक गैर-सांप्रदायिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें मूल सार के प्रति सच्चे रहते हुए अनेक टिप्पणियों से प्राप्त अंतर्दृष्टियों को सम्मिलित किया गया है।

4. क्या यह संस्करण किसी विशिष्ट दर्शन पर आधारित है?
नहीं, यह सभी प्रमुख दार्शनिक स्कूलों की प्रामाणिक व्याख्याओं को प्रतिबिंबित करता है, न कि किसी एक दृष्टिकोण तक सीमित है।

5. इस ग्रन्थ के लेखक का श्रेय किसे दिया जाता है?
महर्षि व्यास जैसे मूल प्रकटकर्ताओं को श्रेय दिया जाता है, न कि आधुनिक संपादकों या अनुवादकों को।

6. इस संस्करण का उद्देश्य क्या है?
वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए गीता के वास्तविक सार को संरक्षित और प्रस्तुत करना।

7. क्या यह संस्करण अध्ययन या उपहार के लिए अच्छा है?
हां, इसका छोटा आकार और गहरी अंतर्दृष्टि इसे व्यक्तिगत अध्ययन और सार्थक उपहार देने दोनों के लिए आदर्श बनाती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

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भगवद् गीता, जिसका अर्थ है 'परमात्मा का गीत', मूलतः वेद व्यास द्वारा प्रकट की गई थी और भगवान गणेश द्वारा रचित थी। यह भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच एक पवित्र वार्तालाप है।

भगवद्गीता A6 को विभिन्न दार्शनिक सम्प्रदायों, जैसे द्वैत, अद्वैत और विशिष्टद्वैत, के प्रमुख संस्कृत विद्वानों के एक पैनल द्वारा कुशलतापूर्वक तैयार किया गया है, जो संस्कृत साहित्य, आगम, धर्मशास्त्र, पुराण और इतिहास, न्याय, व्याकरण, भाषा विज्ञान आदि में पारंगत हैं।

हम अपने संपादक मंडल और शोधकर्ताओं के साथ मिलकर अपने सभी प्रकाशित संस्करणों के लिए गहन विश्लेषणात्मक और संपादकीय शोध करते हैं। इसलिए, हम किसी विशेष विचारधारा या दर्शन का अनुसरण नहीं करते। बल्कि, हम विभिन्न विचारधाराओं से संबंधित विभिन्न टिप्पणियों को ध्यान में रखते हैं और अपनी पुस्तकों की विषयवस्तु को एक प्रामाणिक, गैर-सांप्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हैं।

हमारे प्राचीन ऋषियों और मुनियों ने पवित्र शास्त्रों के दिव्य ज्ञान का भंडार पीढ़ियों से संजोकर रखा है, जो आज भी हमारे लिए उपलब्ध है। हमारा लक्ष्य भावी पीढ़ी को इन शास्त्रों का वास्तविक सार खोए बिना उनकी प्रामाणिक व्याख्या प्रदान करना है। इसलिए, हम इन पवित्र ग्रंथों के मूल उद्घोषकों, जैसे महर्षि व्यास/महर्षि वाल्मीकि, को लेखकत्व का श्रेय देते हैं, न कि किसी व्यक्ति या अनुवादक को।

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1. भगवद् गीता A8 संस्करण क्या है?
यह भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच पवित्र संवाद का संक्षिप्त संस्करण है, जिसे 'परमात्मा का गीत' के नाम से जाना जाता है

2. इस संस्करण का संकलन किसने किया?
द्वैत, अद्वैत और विशिष्टद्वैत जैसे विभिन्न सम्प्रदायों के प्रख्यात संस्कृत विद्वानों के एक पैनल ने इसके निर्माण में योगदान दिया।

3. इस संस्करण को क्या विशिष्ट बनाता है?
यह एक गैर-सांप्रदायिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें मूल सार के प्रति सच्चे रहते हुए अनेक टिप्पणियों से प्राप्त अंतर्दृष्टियों को सम्मिलित किया गया है।

4. क्या यह संस्करण किसी विशिष्ट दर्शन पर आधारित है?
नहीं, यह सभी प्रमुख दार्शनिक स्कूलों की प्रामाणिक व्याख्याओं को प्रतिबिंबित करता है, न कि किसी एक दृष्टिकोण तक सीमित है।

5. इस ग्रन्थ के लेखक का श्रेय किसे दिया जाता है?
महर्षि व्यास जैसे मूल प्रकटकर्ताओं को श्रेय दिया जाता है, न कि आधुनिक संपादकों या अनुवादकों को।

6. इस संस्करण का उद्देश्य क्या है?
वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए गीता के वास्तविक सार को संरक्षित और प्रस्तुत करना।

7. क्या यह संस्करण अध्ययन या उपहार के लिए अच्छा है?
हां, इसका छोटा आकार और गहरी अंतर्दृष्टि इसे व्यक्तिगत अध्ययन और सार्थक उपहार देने दोनों के लिए आदर्श बनाती है।

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